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मंगलवार, 13 मई 2025

संस्कृत प्रचार के लिए पंपलेट एक प्रभावी माध्यम हो सकता है। इसमें स्पष्ट, आकर्षक और भावनात्मक भाषा में जानकारी होनी चाहिए। नीचे एक पंपलेट का प्रारूप/डिज़ाइन-आइडिया दिया गया है, जिसे आप प्रिंट या डिजिटल दोनों रूपों में प्रयोग कर सकते हैं:


संस्कृतम् जीवति चेत् संस्कृतिः जीवति!
(यदि संस्कृत जीवित है तो संस्कृति जीवित है)

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हमारा उद्देश्य:
संस्कृत को घर-घर पहुँचाना — सरल, रोचक, वैज्ञानिक और आधुनिक पद्धति से।

आप क्या पाएँगे यहाँ?

  • NCERT संस्कृत पुस्तकों का सरल मार्गदर्शन
  • संस्कृत व्याकरण एवं बोलचाल पाठ्यक्रम
  • संस्कृत साहित्य, दर्शन और शास्त्रों की व्याख्या
  • ऑनलाइन कक्षाएँ, विडियो, लेख, और लघु चलचित्र
  • छात्रों और शिक्षकों के लिए निःशुल्क संसाधन

हमारे विशेष कार्यक्रम:

  • श्लोक सप्ताहम् – हर सप्ताह एक नया श्लोक, अर्थ सहित
  • संस्कृत संवादशाला – संवादों द्वारा संस्कृत सीखें
  • दर्शने दर्शनम् – भारतीय दर्शनों की सरल व्याख्या
  • बाल संस्कृतम् – बच्चों के लिए रोचक सामग्री

आप कैसे जुड़ सकते हैं?

  • वेबसाइट पर जाएँ: sanskritsight.in
  • यूट्यूब पर देखें: Sanskrit Darshanam
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संस्कृतं वदतु भारतम्!

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संस्कृतं वदतु भारतम्!

शुक्रवार, 2 मई 2025

संस्कृत साहित्य

 वैदिक साहित्य,दर्शन साहित्य,संस्कृत साहित्य,काव्यशास्त्र,छन्दशास्त्र, पुराणेतिहास,धर्मशास्त्र,अभिलेखशास्त्र, व्याकरण एवं भाषाविज्ञान से सम्बन्धित विषय।

*वैदिक-साहित्य-
(क) वैदिक-साहित्य का सामान्य परिचय-वेदों का काल, मैक्समूलर, ए. वेबर, जैकोबी, बालगंगाधर तिलक, एम. विण्टरनिट्ज, भारतीय परम्परागत विचार,संहिता साहित्य-संवाद सूक्त पुरुरवा-उर्वशी, यम यमी, सरमा-पणि,विश्वामित्र नदी,ब्राह्मण साहित्य,आरण्यक साहित्य,वेदांग शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष।  (ख) वैदिक-साहित्य का विशिष्ट अध्ययन-सूक्तों का अध्ययन-ऋग्वेद-अग्नि (1.1),वरुण (1.25).सूर्य (1.25), इन्द्र (2.12)उषस् (3.61),पर्जन्य (5.83).अक्ष (10.34),ज्ञान (10.71),पुरुष(10.90),पुरुष (10.90). हिरण्यगर्भ (10.121),वाक्(10.125),नासदीय (10.129),शुक्लयजुर्वेद-शिवसंकल्प,अध्याय-34 (1-6),प्रजापति,अध्याय 23 (1-5)अथर्ववेद : राष्ट्राभिवर्धनम् (1.29) काल (10.53),पृथिवी (12.1)                                                         
 ब्राह्मण-साहित्य प्रतिपाद्य विषय, विधि एवं उसके प्रकार,अग्रिहोत्र, अग्रिष्टोम, दर्शपूर्णमास यज्ञ, पंचमहायज्ञ, आख्यान,(शुन:शेप वाङ्मनस)।     
 उपनिषद्-साहित्य : उपनिषदों की विषयवस्तु तथा प्रमुख अवधारणाओं का अध्ययन ईश, कठ, केन, बृहदारण्यक,तैत्तिरीय, श्वेताश्वतर।       
 वैदिक व्याकरण,निरुक्त एवं वैदिक व्याख्या पद्धति,ऋक्प्रातिशाख्य: परिभाषाएँ-समानाक्षर, सन्ध्यक्षर, अघोष, सोष्म, स्वरभक्ति, यम, रक्त,संयोग, प्रगृहा, रिफित।                                  
 निरुक्त (अध्याय 1 तथा 2)-चार पद-नाम विचार, आख्यात विचार, उपसर्गों का अर्थ,निपात की कोटियाँ,निरुक्त अध्ययन के प्रयोजन.निर्वचन के सिद्धान्त,शब्दों की व्युत्पत्ति-आचार्य, वीर, हद, गो, समुद्र, वृत्र, आदित्य, उषस्, मेघ,वाक्, उदक, नदी, अश्व, अग्नि, जातवेदस,वैश्वानार,निघण्टु, अध्याय 7 दैवत काण्ड-वैदिक स्वर उदात्त, अनुदात्त तथा स्वरित,वैदिक व्याख्या पद्धति प्राचीन एवं अर्वाचीन।                             
*दर्शन-साहित्य-
(क) प्रमुख भारतीय दर्शनों का सामान्य परिचय,प्रमाणमीमांसा, तत्त्वमीमांसा, आचारमीमांसा (चार्वाक, जैन, बौद्ध, न्याय, सांख्य, योग, वैशेषिक, मीमांसा के सन्दर्भ में)।
(ख) दर्शन-साहित्य का विशिष्ट अध्ययन-
ईश्वरकृष्ण;सांख्यकारिका-सत्कार्यवाद, पुरुषस्वरूप,प्रकृतिस्वरूप, सृष्टिक्रम, प्रत्ययसर्ग, कैवल्य,सदानन्द वेदान्तसार-अनुबन्ध-चतुष्ट्य, अज्ञान,अध्यारोप- अपवाद, लिंगशरीरोत्पत्ति,पंचीकरण, विवर्त, महावाक्य, जीवन्मुक्ति।
अन्नंभट्ट, तर्कसंग्रह / केशव मिश्र; तर्कभाषा-पदार्थ, कारण, प्रमाण (प्रत्यक्ष अनुमान, उपमान, शब्द),प्रामाण्यवाद, प्रमेय।
लौगाक्षिभास्कर अर्थसंग्रह।
पतंजलि योगसूत्र, (व्यासभाष्य)-चित्तभूमि, चित्तवृत्तियाँ,ईश्वर का स्वरूप, योगाङ्ग, समाधि, कैवल्य।
बादरायण ब्रह्मसूत्र 1.1 (शांकरभाष्य)।
विश्वनाथपंचानन, न्यायसिद्धान्तमुक्तावली।
सर्वदर्शनसंग्रह, जैनमत, बौद्धमत(अनुमानखण्ड)।
 *व्याकरण एवं भाषाविज्ञान-
व्याकरणम्-
(क) सामान्य परिचय-आचार्यों का परिचय,पाणिनि, कात्यायन, पतंजलि, भर्तृहरि, वामनजयादित्य, भट्टोजिदीक्षित, नागेशभट्ट, जैनेन्द्र, कैय्यट, शाकटायन, हेमचन्द्रसूरि सारस्वतव्याकरणकार पाणिनीय शिक्षा।
(ख) व्याकरण का विशिष्ट अध्ययन-
संज्ञा प्रकरणम्-परिभाषाएँ संहिता, संयोग, गुण, वृद्धि, प्रातिपदिक, नदी, घि,उपधा,अपृक्त, गति, पद, विभाषा, सवर्ण, टि, प्रगृह्य,सर्वनामस्थान, भ, सर्वनाम, निष्ठा।
सन्धि प्रकरणम्-सन्धि अच् सन्धि, हल सन्धि, विसर्ग सन्धि(लघुसिद्धान्तकौमुदी के अनुसार) सुबन्त अजन्त राम, सर्व (तीनों लिंगों में), विश्वपा, हरि, त्रि (तीनों लिंगों में), सखि, सुधी, गुरु, पितृ गौ, रमा, मति, नदी, धेनु, मातृ, ज्ञान, वारि, मधु । हलन्त लिहू विश्ववाहू, चतुर् (तीनों लिंगों में), इदम् (तीनों लिंगों में), किम् (तीनों लिंगों में), तत् (तीनों लिंगों में) राजन, मघवन् पथिन्, विद्वस्, अस्मद्, युष्मद्।
समास प्रकरणम्-अव्ययीभाव, तत्पुरुष, बहुव्रीहि, द्वन्द्व, (लघुसिद्धान्तकौमुदी के अनुसार),तद्धित अपत्यार्थक एवं मत्वर्थीय (सिद्धान्तकौमुदी के अनुसार),तिङत भू, एध्, अद्, अस्, हु, दिव्, घुञ, तुद्, तन्, कृ. रु. क्रीञ, चुर। प्रत्ययान्त णिजन्त, सन्नन्त, यडन्त, यङ्लुगन्त; नामधातु,कृदन्त तव्य /तव्यत्, अनीयर् यत् ण्यत् क्यप्: शतृ शानच् क्त्वा क्त क्तवतु तुमुन् णमुल्स्त्री,प्रत्यय लघुसिद्धान्तकौमुदी के अनुसार।
कारक प्रकरणम्- सिद्धान्तकौमुदी के अनुसार,परस्मैपद एवं आत्मनेपद विधान सिद्धान्तकौमुदी के अनुसार,महाभाष्य (पस्पशाहिक)-शब्दपरिभाषा शब्द एवं अर्थ सम्बन्ध, व्याकरण अध्ययन के उद्देश्य,व्याकरण की परिभाषा,साधु शब्द के प्रयोग का परिणाम,व्याकरण पद्धति, वाक्यपदीयम् (ब्रह्मकाण्ड) स्फोट का स्वरूप, शब्दब्रह्म का स्वरूप, शब्द ब्रह्म की शक्तियाँ,स्फोट एवं ध्वनि का सम्बन्ध, शब्द- अर्थ सम्बन्ध, ध्वनि के प्रकार, भाषा के स्तर।
भाषाविज्ञानम्-भाषा की परिभाषा, भाषा का वर्गीकरण (आकृतिमूलक एवं पारिवारिक), ध्वनियों का वर्गीकरण स्पर्श, संघर्षी, अर्धस्वर, स्वर (संस्कृत ध्वनियों के विशेष सन्दर्भ में), मानवीय ध्वनियन्त्र, ध्वनि परिवर्तन के कारण, ध्वनि नियम (ग्रिम, ग्रासमान, वर्नर) अर्थ परिवर्तन की दिशाएँ एवं कारण, वाक्य का लक्षण व भेद, भारोपीय परिवार का सामान्य परिचय, वैदिक संस्कृत एवं लौकिक संस्कृत में अन्तर, भाषा तथा वाक् में अन्तर, भाषा तथा बोली में अन्तर।
*संस्कृत साहित्य,काव्यशास्त्र एवं छन्दपरिचय-
(क)सामान्य परिचय-भास, अश्वघोष, कालिदास, शुद्रक, विशाखदत्त, भारवि, माघ, हर्ष, बाणभट्ट, दण्डी, भवभूति, भट्टनारायण, बिल्हण, श्रीहर्ष, अम्बिकादत्तव्यास पण्डिता क्षमाराव वी. राघवन,श्रीधरमास्कर वर्णेकर काव्यशास्त्र रससम्प्रदाय अलंकारसम्प्रदाय, रीतिसम्प्रदाय, ध्वनिसम्प्रदासय, कोक्तिसम्प्रदाय, औचित्यसम्प्रदाय,पाश्चात्य काव्यशास्त्रः अरस्तु, लांजाइनस, क्रोचे
(ख)विशिष्ट अध्ययन- गद्य दशकुमारचरितम् (अष्टम-उच्छ्वास), हर्षचरितम् (पञ्चम-उच्छ्वास), कादम्बरी (शुकनासोपदेश) पद्य बुद्धचरितम् (प्रथम) रघुवंशम् (प्रथमसर्ग), किरातार्जुनीयम् (प्रथमसर्ग),शिशुपालवधम् (प्रथमसर्ग),नैषधीयचरितम् प्रथमसर्ग नाट्य स्वप्नवासवदत्तम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् वेणीसंहारम्,मुद्राराक्षसम्, उत्तररामचरितम्, रत्नावली, मृच्छकटिकम् चम्पूकाव्य नलचम्पू (प्रथम-उच्छ्वास)।
साहित्यदर्पण: काव्यपरिभाषा काव्य की अन्य परिभाषाओं का खण्डन, शब्दशक्ति- (संकेतग्रह, अमिधा, लक्षणा,
व्यंजना), काव्यभेद (चतुर्थ परिच्छेद) श्रव्यकाव्य (गद्य, पद्य,मिश्र काव्य-लक्षण)
काव्यप्रकाश-काव्यलक्षण, काव्यप्रयोजन काव्यहेतु काव्यमेद, शब्दशक्ति, अभिहितान्वयवाद,अन्विताभिधानवाद, रसस्वरूप एवं रससूत्र विमर्श, रसदोष, काव्यगुण,व्यंजनावृत्ति की स्थापना (पञ्चम उल्लास)
अलंकार-वक्रोक्ति, अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, रूपक उत्प्रेक्षा, समासोक्ति, अपह्नुति, निदर्शना, अर्थान्तरन्यास, दृष्टान्त, विभावना, विशेषोक्ति, स्वभावोक्ति, विरोधाभास, संकर, संसृष्टि।
ध्वन्यालोक (प्रथम उद्योत)
वक्रोक्तिजीवितम् (प्रथम उन्मेष)
भारत-नाट्यशास्त्रम् (द्वितीय एवं षष्ठ अध्याय)
दशरूपकम् (प्रथम तथा तृतीय प्रकाश)
छन्द परिचय-आर्या, अनुष्टुप, इन्द्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, वसन्ततिलका, उपजाति,वंशस्थ, द्रुतविलम्बित, शालिनी, मालिनी, शिखरिणी, मन्दाक्रान्ता,हरिणी, शादूलविक्रीडित, स्रग्धरा
पुराणेतिहास, धर्मशास्त्र एवं अभिलेखशास्त्र-
(क)सामान्य परिचय- रामायण विषय-वस्तु, काल,रामायणकालीन समाज, परवर्ती ग्रन्थों के लिए प्रेरणास्रोत, साहित्यिक महत्त्व, रामायण में आख्यान,महाभारत विषय-वस्तु, काल महाभारतकालीन समाज, परवर्ती ग्रन्थों के लिए प्रेरणा स्रोत, साहित्यिक महत्त्व, महाभारत में आख्यान,पुराण पुराण की परिभाषा, महापुराण-उपपुराण, पौराणिक,सृष्टि-विज्ञान,पौराणिक आख्यान,प्रमुख स्मृतियों का सामान्य परिचय। अर्थशास्त्र का सामान्य परिचय।
लिपि: ब्राह्मी लिपि का इतिहास एवं उत्पत्ति के सिद्धान्त। अभिलेख का सामान्य परिचय।
(ख) ग्रन्थों का विशिष्ट अध्ययन-कौटिल्य अर्थशास्त्रम् (प्रथम-विनयाधिकारिक),मनुस्मृति (प्रथम, द्वितीय तथा सप्तम अध्याय),याज्ञवल्क्यस्मृति (व्यवहाराध्याय)।
लिपि तथा अभिलेख-गुप्तकालीन तथा अशोककालीन ब्राह्मी लिपि अशोक के अभिलेख प्रमुख शिलालेख, प्रमुख स्तम्भलेख मौर्योत्तरकालीन अभिलेख-कनिष्क के शासन वर्ष 3 का सारनाथ बौद्ध प्रतिमा लेख, रुद्रदामन का गिरनार शिलालेख, खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख,गुप्तकालीन एवं गुप्तोत्तरकालीन अभिलेख-समुद्रगुप्त का इलाहाबाद स्तम्भलेख, यशोधर्मन् का मन्दसौर शिलालेख, हर्ष का बांसखेड़ा ताम्रपट अभिलेख, पुलकेशिन द्वितीय
का ऐहोल शिलालेख। 

गुरुवार, 1 मई 2025


स्वागतम्! –संस्कृत दर्शनम्(Sanskrit Sight)में आपका स्वागत है

संस्कृत दर्शनम्(Sanskrit Sight)एक समर्पित प्रयास है, जहाँ हम संस्कृत भाषा, साहित्य, व्याकरण, श्लोक, सूक्तियाँ, और भारतीय ज्ञान परंपरा को सरल और आधुनिक रूप में प्रस्तुत करते हैं।

हम क्या प्रदान करते हैं?

  • संस्कृत भाषा सीखने की सरल विधियाँ
  • प्राचीन ग्रंथों का आधुनिक व्याख्यान
  •  श्लोक एवं उनका अर्थ
  • ऑनलाइन संस्कृत अभ्यास सामग्री

हमारा उद्देश्य

संस्कृत को केवल एक प्राचीन भाषा नहीं, बल्कि एक जीवंत संस्कृति के रूप में प्रस्तुत करना – ताकि आज की पीढ़ी भी इसका लाभ उठा सके और गर्व से कह सके, "संस्कृतं जीवति।"

शुभारंभ करें

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संस्कृत दर्शनम्(Sanskrit Sight) – ज्ञान की ओर एक कदम।
                          “सा विद्या या विमुक्तये”